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उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा में प्रत्याशी बदलने का एक दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसके पीछे अब केवल चुनावी रणनीति तो दूर की बात पार्टी में खेमेबाजी उभर कर सामने आ रही है। पहले धर्मेंद्र यादव को लेकर ऊहापोह की स्थिति रही फिर शिवपाल यादव और अब रामपुर व मुरादाबाद को लेकर आजम खां की पैंतरेबाजी और अपनों को चुनाव लड़ाने के दांवपेच ने समाजवादी पार्टी को अंदरखाने चिंता में डाल दिया है। इसमें दावेदारों की महत्वकांक्षा तो है ही, पर्दे के पीछे कुछ किरदार अपनी चालें चलते दिखते हैं। यही कारण है कि धर्मेंद्र यादव का टिकट बदलने से लेकर रुचिवीरा का नामांकन कराने तक पार्टी में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं और अभी कई सीटों पर प्रत्याशी तय होने बाकी हैं।
बदायूं, मिश्रिख, गौतमबुद्धनगर समेत कई सीटों पर अब तक बदले प्रत्याशी
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सबसे पहले बदायूं में पूर्व घोषित प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव का टिकट काट कर शिवपाल यादव को मैदान में उतार दिया। बाद में धर्मेंद्र को आजमगढ़ से उम्मीदवार बनाया गया। धर्मेंद्र इससे खुश थे लेकिन परिवार का मामला भीतर ही रहा। उधर शिवपाल की इच्छा है कि बदायूं से उनके बेटे आदित्य यादव को लड़ाया जाए लेकिन पार्टी ने इस पर तवज्जो नहीं दी। मिश्रिख सीट से पहले रामपाल राजवंशी को टिकट दिया गया। बाद में उन्होंने अपने बजाए बेटे मनोज राजवंशी के लिए टिकट मांगा तो वह मंजूर हो गया। इसके बाद यहां तीसरी बार टिकट बदला गया और मनोज राजवंशी की पत्नी संगीता राजवंशी को टिकट मिल गया।
बिजनौर, मेरठ और नोएडा में भी बदले गए टिकट
संभल से पहले वहीं के सांसद शफीकुररहमान बर्क को टिकट दिया गया लेकिन उनके निधन के बाद कई दावेदार आ गए। पर उनके पौत्र व मुरादाबाद से विधायक जियाउरहमान बर्क को प्रत्याशी बनाया गया। गौतमबुद्धनगर से पहले महेंद्र नागर को टिकट दिया गया। इसके बाद वहां से नए प्रत्याशी राहुल अवाना सामने आ गए। बिजनौर से यशवीर सिंह प्रत्याशी बनाए गए और उसके बाद दीपक सैनी को टिकट थमा दिया गया। मेरठ से भानु प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है लेकिन वहां आधा दर्जन मौजूदा विधायक व अन्य नेता दावेदार थे। अब माना जा रहा है कि यहां से फिर नए प्रत्याशी को टिकट मिल सकता है।
मुरादाबाद व रामपुर में हुआ पर्दे के पीछे खेल
असल में जब अखिलेश यादव पूर्व सांसद आजम खां से मिलने जेल गए, वहां करीब 40 मिनट बात हुई। उसी में रुचिवीरा को मुरादाबाद से प्रत्याशी बनाने की चर्चा हुई जबकि रामपुर के लिए अखिलेश यादव या उनके परिवार के किसी सदस्य से लड़ने का आग्रह किया गया। जब अखिलेश ने अपने परिवार को वहां से उतारने से मना कर दिया तो फिर आजम खां के खास आसिम रजा का नाम आगे गया और सपा पर दबाव बना कि उन्हीं को प्रत्याशी बनाएं।
इसी बीच सपा नेतृत्व ने बिना किसी दबाव में आए दिल्ली की संसद मार्ग स्थित मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को प्रत्याशी बना दिया। इस बीच रामपुर सपाइयों ने आजम खां का पत्र जारी कराया और चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया। वहीं आजम खां के खास आसिम रजा ने भी दबाव बनाते हुए अब नामांकन कर दिया, लेकिन पार्टी दबाव में न आने का मन बना चुकी थी। इसलिए बुधवार को चार्टेड प्लेन से सिंबल वाला फार्म रामपुर पहुंचाया गया।
इसी आधार पर मोहिबुल्लाह नदवी ने भी नामांकन कर दिया। अखिलेश यादव के निर्देश पर उनके नाम पर पार्टी ने मुहर लगा दी लेकिन सपा को मुरादाबाद में अपने मौजूदा सांसद एसटी हसन के नामांकन के बावजूद रुचिवीरा का नामांकन कराना पड़ा। इन दोनों सीटों पर अभी कई नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिल सकते हैं।