हाइलाइट्स
माथे पर तिलक लगाने से मानसिक शांति मिलती है.
तिलक लगाने से ग्रह दोष भी दूर होते हैं.
Chandan Tilak : सनातन धर्म में माथे पर तिलक लगाया जाना सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक है. पूजा-पाठ या किसी शुभ कार्य के आयोजन के पहले माथे पर तिलक लगाने की परंपरा सदियों पुरानी है. तिलक दोनों भवों के बीच में लगाया जाता है. माथे पर जिस स्थान पर तिलक लगाया जाता है, उसे योग शास्त्र में आज्ञा चक्र कहा गया है. इसे मनुष्य की चेतना का केंद्र भी माना जाता है. सही तरीक़े से तिलक लगाने से कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति मज़बूत होती है.ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है, कि तिलक लगाने से व्यक्ति को ग्रह दोषों से भी मुक्ति मिलती है, और इसके शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं, लेकिन तिलक लगाते हुए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी होता है. इस विषय में विस्तार से न्यूज18 हिंदी को बताया है भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा ने.
सूर्य का शुभ प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है, कि अनामिका उंगली से माथे पर लाल चंदन का तिलक लगाने से व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की स्थिति मज़बूत होती है, और अशुभ प्रभाव कम होते हैं. अनामिका उंगली से लाल चंदन का तिलक लगाने से व्यक्ति को मान-सम्मान प्राप्त होता है, और कुंडली में शुभ योग बनते हैं.
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पीले चंदन से तिलक लगाने की विधि
यदि पीले चंदन से माथे पर तिलक लगा रहे हैं, तो इसे सीधे निकाल कर नहीं लगाना चाहिए. इसे अपनी हथेली पर रखें और हथेली पर रगड़कर अपने माथे पर लगाएं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से हथेली में हस्तरेखाओं की स्थिति में सुधार होता है, और कुंडली से ग्रह दोष दूर होते हैं.
कनिष्ठा उंगली से माथे पर तिलक लगाने की विधि
कनिष्ठ उंगली या छोटी उंगली से माथे पर तिलक लगाने से बुध ग्रह की स्थिति कुंडली में मज़बूत होती है, और इनके अशुभ प्रभाव से भी छुटकारा मिलता है. ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को संचार कौशल, तीव्र बुद्धि, याददाश्त का कारक ग्रह माना जाता है, तनिष्ठा उंगली से माथे पर तिलक लगाने से बुध के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं, और जीवन में चल रही परेशानियां भी ख़त्म होती है.
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तिलक लगाते समय बोले ये मंत्र
हिन्दू धर्म में माथे पर तिलक पंडित के द्वारा लगाए जाता हैं, लेकिन यदि आप घर में पूजा पाठ के दौरान तिलक लगा रहे हैं, तो आपको तिलक लगाते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
केशवानन्न्त गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम । पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु ।। कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम् । ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ।।
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Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion
FIRST PUBLISHED : March 23, 2024, 11:13 IST