जिस पीएमएलए कानून के तहत ईडी ने अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया है, उस कानून का पिछला ट्रैक रिकॉर्ड यही बताता है कि इतनी आसानी से जमानत नहीं मिल पाती। इसका सबसे बड़ा उदाहरण दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया हैं, जो पिछले साल से ही जेल में हैं। अब कोर्ट ने ईडी को अरविंद केजरीवाल की 6 दिन की रिमांड पर भेज दिया है। कल आदमी पार्टी ने कहा था कि केजरावाल ही दिल्ली के सीएम रहेंगे और जेल से सरकार चलाएंगे। कोर्ट से जाते वक्त आज केजरीवाल ने भी जेल से सरकार चलाने की बात कही। लेकिन विधि विशेषज्ञों की मानें तो इस बात में कोई संवैधानिक अड़चन नहीं आएगी, लेकिन फिर भी अरविंद केजरीवाल जेल से सरकार नहीं चला पाएंगे। ऐसा क्यों, ये आपको बताते हैं-
“जेल से काम करना कानूनी रूप से संभव”
कानून के विशेषज्ञों का मानना है कि आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बावजूद अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद पर बने रह सकते हैं, क्योंकि कानून के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो गिरफ्तार व्यक्ति को पद पर बने रहने से प्रतिबंधित करता हो। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि एक बार गिरफ्तार होने के बाद किसी व्यक्ति के मुख्यमंत्री बने रहने पर कानून में कोई रोक नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि क्या केजरीवाल गिरफ्तारी के बाद भी मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं, शंकरनारायणन ने कहा, ‘‘एक बार गिरफ्तार होने के बाद किसी व्यक्ति के मुख्यमंत्री बने रहने पर कानून में कोई रोक नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, दोषसिद्धि के बाद ही किसी विधायक को अयोग्य माना जा सकता है, तदनुसार वह मंत्री बनने का हकदार नहीं होगा। हालांकि (यह) अभूतपूर्व (स्थिति) है, लेकिन उनके लिए जेल से काम करना तकनीकी रूप से संभव है।’’
प्रशासनिक तौर असंभव
इस मामले पर वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि भले ही कानूनी तौर पर ऐसी कोई रोक नहीं है, लेकिन प्रशासनिक तौर पर यह लगभग असंभव होगा। वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा, ‘‘कानूनी तौर पर कोई रोक नहीं है, लेकिन प्रशासनिक तौर पर यह लगभग असंभव होगा।” बता दें कि केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया है। आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो वह जेल से भी सरकार चलाएंगे।
केजरीवाल क्यों नहीं चला पाएंगे जेल से सरकार?
कानून के जानकारों की मानें तो संविधान भले ही जेल से सरकार चलाने पर नहीं रोकता लेकिन जब हकीकत में कोई पदस्थ नेता जेल से सरकार चलाएगा तो उसे व्यवहारिक समस्याएं आएंगी। उदाहरण के तौर पर यदि अरविंद केजरीवाल जेल से सरकार चलाएंगे तो उन्हें जेल में ही कैबिनेट की बैठकें करनी होंगी, फाइलें साइन करनी होंगी, चेक साइन करने होंगे, अधिकारियों को ऑर्डर पास करने होंगे, शासन और प्रशासन के रोज दर्जनों लोगों को केजरीवाल से मिलना होगा। लेकिन इन हर एक कामों के लिए केजरीवाल को हर बार अदालत से इजाजत लेनी होगी।
ऐसे में नियम ये कहता है कि जेल में कैद शख्स को एक कागज और कलम देने से लेकर किसी के मिलने तक, हर चीज के लिए अदालत से इजाजत लेनी होगी। यदि अरविंद केजरीवाल जेल से सरकार चलाते हैं तो सीएम ऑफिस से जुड़े ऐसे दर्जनों कामों के लिए एक दिन में उन्हें अदालत से दर्जनों परमिशन लेनी होंगी, जो कि स्वभाविक तौर पर असंभव ही है।
किस सूरत में केजरीवाल हो सकते हैं अयोग्य?
बता दें कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-8, उपबंध-3 एक विधायक की अयोग्यता से संबंधित है, जिसमें प्रावधान है कि यदि किसी जनप्रतिनिधि को किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है और 2 साल या उससे अधिक की सजा दी जाती है तो वह सजा की तारीख से ही अयोग्य हो जाएगा। इसमें कहा गया है कि ऐसे जनप्रतिनिधि अपनी रिहाई के बाद 6 साल की अवधि के लिए अयोग्य करार दिये जाएंगे। संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत केवल राष्ट्रपति और राज्यपाल को गिरफ्तारी और अदालत के समक्ष कार्यवाही से छूट दी गई है। प्रधानमंत्री और किसी राज्य के मुख्यमंत्री को ऐसी कोई छूट नहीं दी जाती है।
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