आजादी के बाद 1951 में हुए पहले संसदीय चुनाव में प्रत्याशियों के लिए चुनाव खर्च की सीमा 25 हजार तय की गई थी। वक्त के साथ यह सीमा बढ़ाई जरूर गई लेकिन अब 18वीं लोकसभा के लिए होने जा रहे चुनावों तक यह 389 गुणा बढ़ाकर 95 लाख कर हो गई है। 1951 के बाद यह अगले चार लोकसभा चुनावों यानि 1967 के संसदीय चुनाव तक 25 हजार रुपये ही चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा थी। इसके बाद 1971 के लोकसभा चुनाव में चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा को 25 हजार से बढ़ाकर 35 हजार कर दी गई जो इसके अगले संसदीय निर्वाचन 1977 तक रही।
इसके बाद चुनाव क्षेत्रों की सीमा का विस्तार, मतदाताओं की संख्या में वृद्धि, जनसंपर्क के लिए वाहन का महंगा होने, जनसभाओं के आयोजनों के लिए ऑफिस, टेंट शामियाना, साउंड सिस्टम आदि के व्यय में वृद्धि को आधार बनाकर प्रत्याशियों के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियों की ओर से चुनाव खर्च में वृद्धि की मांग शुरू हुई। केन्द्रीय निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों व राजनीतिक दलों की इन मांगों को हमेशा से संज्ञान में लिया और तकनीकी सर्वेक्षणों व गणना के आधार पर चुनाव खर्च की सीमा भी बढ़ाई।
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नतीजा अब तक हुए पहले लोकसभा चुनाव से लेकर 17 वें आम चुनावों तक चुनाव खर्च का ग्राफ 380 प्रतिशत तक बढ़ गया। आलम यह है कि पिछले संसदीय चुनाव में चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा 95 लाख कर दी गई जिसे 2024 के आम चुनाव में भी बरकरार रखा गया है। हालांकि कई प्रस्तावित उम्मीदवार एवं राजनीतिक दल इस सीमा को बढ़ाकर 1.25 करोड़ तक करने की मांग कर रहे हैं। बावजूद इसके चुनाव में होने वाले खर्च को घटाने की वकालत जारी है।
भाजपा के प्रदेश मीडिया संपर्क प्रमुख नवीन श्रीवास्तव कहते हैं कि चुनाव खर्चिला होता जा रहा है। इस बात को ध्यान में रखकर ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक देश एक चुनाव की बात कही है ताकि एक़ साथ संसदीय व विधानसभा चुनाव हों और चुनाव के खर्च घटे ताकि आम लोग भी चुनाव लड़ने के लिए आगे आ सकें। दूसरी ओर कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष हिन्दवी का कहना है-अब समय आ गया है कि सभी को बैठकर एक रास्ता निकालना होगा ताकि चुनावी खर्च घटे और चुनाव धन पर केन्द्रित न रह जाए एवं चुनावी राजनीति में अच्छे लोग आगे आ सकें।
केन्द्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा (चुनाव वार)
क्रम सं. चुनाव वर्ष व्यय राशि की अधिकतम सीमा
1. 1951 25,000
2. 1957 25,000
3. 1962 25,000
4. 1967 25,000
5. 1971 35,000
6. 1977 35,000
7. 1980 1,00,000
8. 1984 1,50,000
9. 1989 1,50,000
10. 1991 1,50,000
11. 1996 4,50,000
12. 1998 15,00,000
13. 1999 15,00,000
14. 2004 25,00,000
15. 2009 25,00,000
16. 2014 70,00,000
17. 2019 95,00,000
18. 2024 95,00,000