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लोकसभा चुनाव के बीच एक तरफ पल्लवी पटेल ने सपा को झटका दिया है तो दूसरी तरफ अखिलेश यादव की सपा को यूपी से पांच दशक पुरानी पार्टी का समर्थन मिला है। लोकसभा चुनाव में सपा को लोक दल ने समर्थन देने का ऐलान किया है। लोक दल के मुखिया सुनील सिंह ने गुरुवार को लोकसभा चुनाव में सपा और इंडिया गठबंधन को समर्थन देने का ऐलान किया। सुनील सिंह ने इस दौरान जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल को डुप्लीकेट पार्टी बताया। इस अवसर पर सपा प्रमुख ने कहा कि चैौधरी चरण सिंह की असली पार्टी लोकदल सपा के साथ आ गई है। अखिलेश ने कहा कि भाजपा हारेगी तो लोकतंत्र बचेगा।
अखिलेश यादव ने सुनील को हार्दिक धन्यवाद दिया और कहा कि असली लोक दल सपा के साथ है। वहीं, भाजपा पर भी अखिलेश ने हमला किया। कहा कि भारतीय जनता पार्टी हारेगी तो लोकतंत्र, संविधान बचेगा। पूरे देश की निगाहें उत्तर प्रदेश पर हैं। भाजपा हटेगी तो देश बचेगा। कांग्रेस का बैंक खाता फ्रीज होने पर सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा कुछ भी कर सकती है। अखिलेश ने कहा कि मतदान तक सावधान रहना पड़ेगा। भाजपा से बूथ की रक्षा करनी है। चंदा चोरी और वसूली में भाजपा सबसे आगे है। बदायूं कांड पर अखिलेश ने कहा कि इस सरकार से अब कोई उम्मीद नहीं है।
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क्या है लोकदल का इतिहास
लोकदल की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने की थी। 26 सितंबर 1979 को जनता पार्टी (सेक्युलर) , सोशलिस्ट पार्टी और उड़ीसा जनता पार्टी को मिलाकर लोकदल बनाया गया था। चरण सिंह को लोकदल का अध्यक्ष और राज नारायण को कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया था। अगस्त 1982 में लोकदल में बड़ी टूट हुई। इसमें एक गुट चरण सिंह का था और दूसरे में कर्पूरी ठाकुर, मधु लिमये, बीजू पटनायक, देवी लाल, जॉर्ज फर्नांडीस, कुंभ राम आर्य शामिल थे। जनवरी 1983 में कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व वाले लोकदल का जनता पार्टी में विलय हो गया।]
21 अक्टूबर 1984 को लोकदल, हेमवती नंदन बहुगुणा की डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट पार्टी , रतुभाई अडानी की राष्ट्रीय कांग्रेस और देवीलाल की जनता पार्टी के कुछ नेताओं ने एक साथ विलय कर दलित मजदूर किसान पार्टी का गठन किया। बाद में इसका नाम बदलकर फिर से लोकदल कर दिया गया।
फरवरी 1987 में लोक दल दो गुटों में विभाजित हो गया। अजीत सिंह का लोक दल (ए) और हेमवती नंदन बहुगुणा का लोक दल (बी) बना।
अजित सिंह ने यूपी विधानसभा में लोकदल के नेता रहे मुलायम सिंह यादव को हटा दिया और सत्यपाल सिंह यादव को लोकदल का नेता बना दिया। इसके बाद मई 1988 में अजित सिंह ने अपने लोकदल का जनता पार्टी में विलय कर दिया और जनता पार्टी के अध्यक्ष बन गये। इस बीच सुनील सिंह के नेतृत्व में लोकदल का एक गुट उसमें नहीं गया और अब भी यूपी में लोकदल के नाम से सक्रिय है। इसी लोकदल ने अब सपा को समर्थन का ऐलान किया है।