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रामपुर पब्लिक स्कूल और मौलाना मोहम्मद अली जौहर रिसर्च एंड टेक्निकल इंस्टीट्यूट के मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट ने ट्रस्ट को आवंटित सरकारी जमीन की लीज डीड रद्द करने के राज्य सरकार के निर्णय के खिलाफ मौलाना अली जौहर ट्रस्ट कार्यकारिणी परिषद की याचिका खारिज कर दी है। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने माना कि ट्रस्ट को भूमि का आवंटन वैधानिक तरीके से नहीं किया गया था। इसमें नियमों की अनदेखी की गई। कोर्ट ने ट्रस्ट की उन आपत्तियों को भी खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया कि लीज रद्द करने में नैसर्गिक न्याय का पालन नहीं किया गया।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता एवं न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने दिया है। याचिका में अपर मुख्य सचिव अल्पसंख्यक कल्याण और वक्फ के 31 जनवरी 2023 के ऑफिस मेमोरेंडम को चुनौती दी गई थी, जिसमें मौलाना मोहम्मद अली जौहर टेक्निकल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट को मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट से अटैच करने और इंस्टीट्यूट को लीज पर ट्रस्ट को सौंपने का राज्य सरकार द्वारा पूर्व में लिया गया निर्णय रद्द कर दिया गया था। राज्य सरकार ने ट्रस्ट की लीज डीड भी रद्द कर दी। याचिका में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी द्वारा उस जारी नोटिस को भी चुनौती दी गई, जिसमें 15 दिन के भीतर ट्रस्ट को मौलाना अली जौहर रिसर्च एंड टेक्निकल इंस्टीट्यूट और रामपुर पब्लिक स्कूल से अपना कब्जा हटा लेने का निर्देश दिया गया था।
ट्रस्ट का कहना था कि वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए कई घोषणाएं की थी। इसके तहत अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को तकनीकी व आधुनिक शिक्षा देने के उद्देश्य से रामपुर में रिसर्च एंड टेक्निकल इंस्टीट्यूट की स्थापना का निर्णय लिया गया। सरकार ने इंस्टीट्यूट की स्थापना के लिए 13140 वर्गमीटर भूमि भी आवंटित कर दी। बाद में सरकार ने इस जमीन को मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को पट्टे पर देने का निर्णय लिया और मात्र एक हजार रुपये की प्रीमियम राशि और 100 रुपये वार्षिक किराये पर यह जमीन 33 वर्षों के लिए ट्रस्ट को पट्टे पर दे दी गई। यह भी प्रावधान किया गया की 33 वर्षों के लिए दो बार कुल 99 वर्षों के लिए लीज का रिन्युवल किया जा सकता है।
राज्य सरकार ने प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देने के इरादे से सीबीएसई बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त रामपुर पब्लिक स्कूल का अधिकार भी ट्रस्ट को दे दिया। याचिका में कहा गया था कि नई सरकार आने के बाद सरकार में मंत्री बलदेव सिंह औलख ने ट्रस्ट के खिलाफ कई शिकायत दर्ज कराई। इन शिकायतों पर राज्य सरकार ने जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी। ट्रस्ट ने एसआईटी को जांच में पूरा सहयोग दिया। बाद में एसआईटी की रिपोर्ट पर राज्य सरकार ने ट्रस्ट को आवंटित लीज रद्द करने का निर्णय लिया। ट्रस्ट का कहना था कि लीज रद्द करने में नैसर्गिक न्याय का पालन नहीं किया गया। ट्रस्ट को कभी कोई कारण बताओ नोटिस नहीं जारी किया गया और लीज रद्द करने का कोई कारण नहीं बताया गया।
राज्य सरकार का कहना था कि तत्कालीन सरकार में कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान ने अपने पद का दुरुपयोग करके ट्रस्ट को गलत तरीके से लाभ पहुंचाया। उन्होंने सरकार की कीमती जमीन और भवन जो राज्य सरकार के खजाने से निर्मित था, ट्रस्ट को कौड़ियों के भाव दे दिया। इस ट्रस्ट के वह स्वयं अध्यक्ष हैं और इसके सभी सदस्य उनके परिवार के ही लोग हैं। इसके अलावा रामपुर पब्लिक स्कूल की बिल्डिंग व जमीन को कैबिनेट से अनुमोदित नहीं कराया गया। जमीन को पट्टे पर देने की कीमत आजम खान स्वयं तय की और मात्र 100 रुपये वार्षिक किराये पर जमीन आवंटित कर राज्य सरकार के खजाने को 20.44 करोड़ रुपये के राजस्व की क्षति पहुंचाई है।
कोर्ट ने इस मामले में मूल दस्तावेज भी तलब किए थे। साथ ही दोनों पक्षों की विस्तार से बहस सुनने के बाद ट्रस्ट की ओर से की गई सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि यदि राज्य सरकार के निर्णय में कुछ प्रक्रियागत कमी है भी, तब भी इस न्यायालय का हस्तक्षेप अवैध तरीके से आवंटित की गई भूमि की लीज का रिन्युवल होगा। और इसी के साथ कोर्ट ने ट्रस्ट की याचिका खारिज कर दी।