ओबरा/सोनभद्र (सौरभ गोस्वामी)………..

ओबरा । नगर क्षेत्र विभिन्न स्थानो से सात ताजिया व एक अलम निकाला गय इस्लामी झंडे के साथ विभिन्न स्वरुपों में थर्माकोल की बनी ताजिया मनमोहक आकर्षण का केंद्र बना रहा। इस्लामी नये साल के पहले महीने में मुहर्रम का त्योहार मनाया जाता है, यह महीना इमाम हुसैन की शहादत के रुप मे याद किया जाता है। इस्लाम का पहला महीना शहादत से शुरू होता है और कुर्बानी के साथ ईदुल अजहा पर खत्म होता है।

अशूरा का दिन सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि सच और इंसाफ के लिए दी गई सबसे बड़ी कुर्बानी की याद है। इस दिन इमाम हुसैन और उनके वफादार साथियों ने यजीद के जुल्मों का सामना करते हुए शहादत प्राप्त की थी। वे झुके नहीं, बिके नहीं बल्कि सच्चाई के लिए आखिरी सांस तक डटे रहे। इराक की राजधानी बगदाद से करीब 100 किलोमीटर दूर एक छोटा सा कस्बा है कर्बला, जो आज भी उस दर्दनाक इतिहास की गवाही देता है। यही वो जमीन है जहां इमाम हुसैन और उनके साथियों को बेरहमी से शहीद किया गया।

उसी कर्बला की याद में आज दुनिया के हर हिस्से में ‘कर्बला’ नाम की जगहें बनाई गई हैं मातम, ताजिए और शोक सभाएं इसी के प्रतीक हैं। मुहर्रम की दसवीं तारीख, यानी अशूरा, को हर साल ताजिए निकाले जाते हैं, जिन्हें बाद में दफनाया जाता है। यह सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि उस पीड़ा और संघर्ष की अभिव्यक्ति है जो यजीद की सत्ता के खिलाफ खड़े होकर इमाम हुसैन ने झेली।
आज भी, जब ये दिन आता है, पूरी दुनिया के मुसलमान गहरे शोक में डूब जाते हैं, और इमाम हुसैन की उस महान कुर्बानी को याद कर, अपने ईमान और इंसानियत को फिर से जाग्रत करते हैं।ताजिया नगर के चोपन रोड, अहमद नगर, चूडी गली, मिल्लत नगर, कुरैष नगर, झरिया नाला, मलीन बस्ती व अहमद नगर से अलम निकाला गया।

जगह जगह शरबत व खिचडा समाजसेवियो द्वारा श्रद्धालुओ को वितरित किया गया। वही शिया समुदाय के लोगो ने अलम निकाल कर शहादत की याद को ताजा किया। याद में लोगो ने मातम भी किया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से नगर पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि श्रवण कुमार, सभासद अमित गुप्ता, बिल्ली मारकुंडी प्रधान अमरेश यादव, मुनीर अहमद, शेरा, ताजियादार मो0 परेवज आलम, सेराज कुरैषी, हबीब कुरैषी, हबीब अंसारी मो अकरम, मुनौव्वर अली, अली हसन, पीर मुहम्मद, सैयद हसन वजीर समेत इंतजामिया कमेटी के सरपरस्त हाजी जलालुद्दीन खान, सेक्रेट्री राज अली अंसारी, सैयद आरिफ, मो हुसैन, मो अली, अमजद, शब्बीर, अलीषेर, अली हुसैन, मुनीर अहमद,खुर्शीद आलम आदि मौजूद रहे।