दरअसल, गांव के बाहर के बाहरी हिस्से में एक बस्ती है, जो तवायफों के लिए विख्यात रही है. आज भी यहां जिस्मफरोसी का धंधा होता है. बनारस से लेकर पटना तक यह गांव बदनाम है. शायह यह देश का इकलौता गांव ने जहां की कई महिलाएं कैमरे के सामने आईं. खुले तौर पर जिस्मफरोशी की बात स्वीकार की. गांव की एक 300 साल पुरानी कला ही इसके लिए अभिशाप बन गई है. बसुका गांव के बाहर तवायफें रहती हैं. बसुका गांव में आजादी से पहले मुजरे का चलन था. मुजरा बंद हुआ तो इस कला से जुड़ी महिलाओं को वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेल दिया गया. अभी भी ऑर्केस्ट्रा में काम करने के लिए ‘नाचनेवाली लड़कियां’ यहीं से बिहार के कई जिलों में जाती हैं.
एक और चौंकाने वाला सच यह है कि वेश्यावृत्ति से जुड़ी कई महिलाएं अमीरी की जिंदगी जी रही हैं तो कई दो जून की रोटी नहीं जुटा पा रही हैं. तबस्सुम इस सच्चाई को साफगोई से बताते हुए कहती है, ‘मैंने 29 लाख का फ्लैट बनारस में लिया है. गांव में जमीन खरीदी है. मकान बनवाया है. मैं चाहती हूं जो मेरे साथ हुआ, वो किसी के साथ न हो.’
कैमरे पर सामने आई तवायफ गुड़िया का कहना है, ‘हम लोग वेश्यावृत्ति नहीं करते. हम तो ठुमरी, सोहर और अन्य कलाओं से लोगों का मनोरंजन करते हैं. तवायफ और वेश्या में अंतर होता है. तवायफ लोगों को समझा-बुझाकर घर लौटा देती है. वो किसी का घर नहीं तोड़ती. हम तो सिर्फ मनोरंजन करते हैं. पूरा विवाद हमारे प्रधान के कारण उत्पन्न हुआ है. उनका परिवार भी इसी पेशे से जुड़ा रहा है. अब वो इस काम को बंद करने की धमकी दे रहे हैं.’
हालांकि पूरे मामले में प्रशासन ने अपना दखल लिया. पुलिस प्रशासन ने तवायफों को अपना काम सम्मानपूर्वक करने की इजाजत दे दी.