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Stress Effect on Brain Function: तनाव हमारे ब्रेन के लिए खतरनाक होता है. बहुत ज्यादा स्ट्रेस के कारण ब्रेन फंक्शन बिगड़ सकता है और भावनाओं को कंट्रोल करना मुश्किल होता है. यह खुलासा हालिया स्टडी में हुआ है.

अत्यधिक तनाव से आपका ब्रेन कमजोर हो सकता है.
हाइलाइट्स
- तनाव से ब्रेन फंक्शन और आपके इमोशंस पर बुरा असर पड़ता है.
- ज्यादा तनाव से मेमोरी और इंपल्स कंट्रोल कमजोर हो सकता है.
- तनाव से कई गंभीर मानसिक बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है.
Severe Side Effects of Stress: स्ट्रेस यानी तनाव हमारी सेहत के लिए खतरनाक होता है. ज्यादा तनाव के कारण डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज, एंजायटी, डिप्रेशन समेत कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो तनाव लोगों की जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. अब एक नई स्टडी में पता चला है कि ज्यादा तनाव के कारण दिमाग की कुछ क्षमताएं बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं और इससे इमोशंस को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है. अगर लंबे समय तक कोई व्यक्ति तनाव में रहेगा, तो उस पर कई तरह की मेंटल थेरेपी भी काम नहीं करेंगी. इस रिसर्च में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं.
एक हालिया स्टडी में पता चला है कि ज्यादा तनाव ब्रेन को नुकसान पहुंचाता है. हद से ज्यादा स्ट्रेस के कारण ब्रेन की उस क्षमता को नुकसान पहुंचता है, जिससे हम भावनाओं को कंट्रोल करते हैं. खासतौर पर जो लोग डिप्रेशन, एंजायटी या बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर जैसी मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं, उनमें यह असर और भी ज्यादा देखने को मिलता है. ऐसे लोगों के ब्रेन के लिए तनाव बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. यह स्टडी ऑस्ट्रेलिया की एडिथ कोवान यूनिवर्सिटी (ECU) के वैज्ञानिकों ने की है. इसमें बताया गया है कि तनाव की कंडीशन में दिमाग की एक्जीक्यूटिव फंक्शन्स कमजोर हो जाते हैं.
आसान भाषा में कहें, तो स्ट्रेस से ब्रेन की मेमोरी, इंपल्स कंट्रोल और परिस्थितियों के अनुसार ढलने की क्षमता कमजोर हो जाती हैं. ये सभी चीजें तनाव या कठिन परिस्थितियों में सही फैसले लेने और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं. रिसर्च में कहा गया है कि जो लोग पहले से किसी मानसिक स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं, उनमें ये कार्यात्मक क्षमताएं और ज्यादा प्रभावित होती हैं. डिप्रेशन के मरीजों में याददाश्त कमजोर हो सकती है और बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर वालों में गुस्से को कंट्रोल करना मुश्किल हो सकता है. इस स्टडी में कुल 17 अंतरराष्ट्रीय रिसर्च की समीक्षा की गई, जिससे यह समझने की कोशिश की गई कि तनाव कैसे दिमाग पर असर डालता है.
शोधकर्ताओं का मानना है कि अत्यधिक तनाव के कारण ही कुछ लोगों पर कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) जैसे ट्रीटमेंट पूरी तरह असर नहीं करते हें. अगर तनाव दिमाग की सोचने-समझने की प्रक्रिया को ही बाधित कर दे, तो व्यक्ति उस थेरेपी से सही लाभ नहीं उठा पाता है. वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि गंभीर मानसिक थेरेपी शुरू करने से पहले लोगों की कॉग्निटिव स्किल्स को थोड़ा मजबूत करना जरूरी हो सकता है. इससे उन्हें न सिर्फ इलाज में मदद मिलेगी, बल्कि तनाव से लड़ने की क्षमता भी बढ़ेगी. शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि इस विषय पर और रिसर्च की जरूरत है ताकि ट्रीटमेंट को और बेहतर बनाया जा सके.

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें
अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें
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