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Meerut News: मेरठ के किसानों के लिए महिला समूहों द्वारा तैयार गन्ने की पौध वरदान साबित हो रही है. किसान इसे तीन रुपये प्रति पौध पर खरीद सकते हैं, जिससे फसल बेहतर होगी.
महिला समूहों द्वारा तैयार गन्ने की पौध
हाइलाइट्स
- मेरठ में महिला समूहों द्वारा गन्ने की पौध तैयार की जाती है.
- किसान तीन रुपये प्रति पौध पर गन्ने की पौध खरीद सकते हैं.
- गन्ने की पौध लेट बुवाई के लिए विशेष रूप से तैयार की जाती है.
मेरठ: मेरठ जिले के विभिन्न इलाकों में स्थित किसानों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है. गेहूं की कटाई के बाद गन्ने की फसल उगाने की योजना बना रहे किसानों के लिए यह जानकारी बेहद जरूरी है. कई किसान इस समय बसंत कालीन बुवाई को लेकर चिंतित थे कि वे सही समय पर गन्ने की बुवाई नहीं कर पाएंगे, लेकिन अब उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. जिला गन्ना अधिकारी बृजेश कुमार पटेल ने लोकल-18 से बात करते हुए बताया कि महिला समूहों द्वारा नर्सरी में तैयार किए गए गन्ने के पौधों का उपयोग करके किसान लेट बुवाई के दौरान भी बेहतर फसल उगाने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं.
लेट बुवाई के लिए तैयार होती है गन्ने की पौध
बृजेश कुमार पटेल ने बताया कि मेरठ में लगभग 125 महिलाओं द्वारा नर्सरी में गन्ने की पौध तैयार की जाती है. यह पौध विशेष रूप से लेट बुवाई के लिए तैयार की जाती है. ऐसे में, किसान जब गेहूं की कटाई और जुताई के बाद बुवाई करने का कार्य शुरू करते हैं, तब यह पौध किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. चूंकि इस समय किसान गेहूं की कटाई के बाद अपने खेतों में बुवाई के लिए तैयार होते हैं, ऐसे में महिला समूहों द्वारा तैयार की गई पौध उनकी मदद कर सकती है.
किसान कैसे प्राप्त कर सकते हैं बीज?
जिला गन्ना अधिकारी ने बताया कि महिला समूहों द्वारा तैयार किए गए गन्ने के पौधों को किसान आसानी से खरीद सकते हैं. सरकार की ओर से इन महिला समूहों को गन्ने की पौध के लिए डेढ़ रुपये प्रति पौध का अनुदान मिलता है, और किसान इन पौधों को तीन रुपये प्रति पौध के हिसाब से खरीद सकते हैं. यह व्यवस्था एक तरह से किसानों और महिला समूहों दोनों के लिए फायदे की साबित हो रही है. महिला समूहों की आय में भी वृद्धि हो रही है, और किसान लेट बुवाई के दौरान इस पौध का उपयोग करके अपनी फसल उगा सकते हैं.
गन्ने की पौध का उपयोग कैसे करें?
गन्ने की पौध की बुवाई बिल्कुल उसी प्रकार की जाती है जैसे धान की पौध को खेतों में लगाया जाता है. किसान जुताई के बाद इन पौधों को एक विशेष तरीके से खेतों में लगाते हैं. किसान इन पौधों को पानी में भिगोकर खेतों में लगाते हैं और इस प्रक्रिया से गन्ने की फसल जल्दी और अच्छे तरीके से उग सकती है. इस विधि से न सिर्फ लेट बुवाई की अवधि कम होती है, बल्कि किसान अच्छे परिणाम की उम्मीद कर सकते हैं. इस प्रक्रिया से गन्ने की फसल में गुणवत्ता बढ़ने के साथ-साथ फसल की पैदावार भी बेहतर हो सकती है.
महिला समूहों का योगदान
महिला समूहों की मेहनत और उनके योगदान से किसानों को इस समय में मदद मिल रही है. बृजेश कुमार पटेल ने बताया कि ये महिला समूह न केवल गन्ने की पौध तैयार करने का काम कर रहे हैं, बल्कि वे किसानों की मदद भी कर रहे हैं, ताकि किसानों को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े. इस पहल से महिला समूहों को अपनी आय बढ़ाने का अवसर मिला है, और साथ ही किसानों को भी कृषि क्षेत्र में मदद मिल रही है.
किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर
यह नर्सरी अब किसानों के लिए एक बड़ा अवसर बन चुकी है, जिससे वे लेट बुवाई के दौरान भी बेहतरीन फसल उगा सकते हैं. महिला समूहों द्वारा तैयार की गई पौध अब किसानों के लिए न केवल एक सहायक साधन बन गई है, बल्कि इससे किसानों की मेहनत और समय की बचत भी हो रही है. इस पहल से मेरठ के किसानों को अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, जिससे वे अपनी कृषि को और भी लाभकारी बना सकते हैं.