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अलीगढ़. अलीगढ़ की सरज़मीन पर तालीम के मिशन को दिल से आगे बढ़ा रहे हैं फरहान जुबेरी, जो न सिर्फ़ खुद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहे हैं, बल्कि उन बच्चों के लिए भी उम्मीद की किरण बन चुके हैं जो आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा से दूर रह जाते हैं. सर सैयद अहमद ख़ान के ख्वाब को ज़मीन पर उतारते हुए फरहान ने शिक्षा को हर जरूरतमंद तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है.
अपनी पढ़ाई के साथ-साथ वो ऐसे दर्जनों बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रहे हैं, जिनके पास स्कूल की फीस भरने तक की सामर्थ्य नहीं. फरहान का सपना है कि वो एक ऐसा स्कूल स्थापित करें जहां हर बेसहारा और गरीब बच्चा बिना किसी रुकावट के तालीम हासिल कर सके. उनका यह जज़्बा न सिर्फ़ काबिल-ए-तारीफ़ है, बल्कि समाज के लिए एक मिसाल भी है.
खुद भी कर रहे हैं पीएचडी
जानकारी देते हुए फरहान जुबेरी बताते हैं कि ‘मैं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहा हूं, सोशल वर्क डिपार्टमेंट से. हम जिस यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं वह सर सैयद अहमद खान की यूनिवर्सिटी है, जिसे आज दुनिया भर में सब लोग जानते हैं. जब मैंने वहां से तालीम हासिल की है तो मैं भी यही चाहता हूं कि सर सैयद के ख्वाब को आगे बढ़ाते हुए यह तालीम दूसरों तक पहुंचाऊं. उनकी यह सोच थी कि तालीम की रोशनी दूर-दूर तक जाए, तो बस उसी को आगे बढ़ाने के लिए मैं मुफ्त में बच्चों को शिक्षा देता हूं.’
वे आगे कहते हैं, ‘दरअसल, मैंने देखा है कि बहुत से ऐसे बच्चे हैं जो पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन पैसों की कमी की वजह से पढ़ नहीं पाते. उनके मां-बाप चाहते हैं कि बच्चे पढ़ें, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से वे अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पाते. अभी भी मैं ऐसे बहुत से बच्चों को पढ़ाता हूं जिनके मां-बाप या तो बहुत गरीब हैं या फिर हैं ही नहीं.’
ऐसे हुई थी शुरुआत
फरहान जुबेरी कहते हैं कि ‘मैंने शुरुआत में दो-तीन बच्चों को पढ़ाना शुरू किया, जिनकी तादाद धीरे-धीरे 60 बच्चों के करीब पहुंच चुकी है. मैं अपनी पढ़ाई करने के साथ-साथ शाम के समय टाइम निकालकर इन बच्चों को पढ़ाने के लिए आता हूं. इन बच्चों के लिए मैंने एक जगह किराए पर भी ली हुई है, जहां ये सारे बच्चे एक समय पर इकट्ठा होकर मेरे पास आते हैं. मैं इन बच्चों को उर्दू, हिंदी, इंग्लिश, साइंस जैसे सारे सब्जेक्ट पढ़ाता हूं.
साथ ही मेरा ख्वाब है कि मैं एक ऐसा इदारा, यानी कि स्कूल, कायम करूं जिसमें सभी बेसहारा और गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दे सकूं, यही मेरा सपना है. दिन प्रतिदिन इन बच्चों की संख्या बढ़ती चली जा रही है और उनको पढ़ाकर मुझे बहुत सुकून मिलता है.’
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