रांची. वैसे तो चर्म रोग के लिए लोग अक्सर महंगे महंगे क्रीम लगाया करते हैं, लेकिन कई बार ठीक नहीं होते और ठीक हो भी जाता है, तो दोबारा लौट आते हैं. स्किन में खुजली रैशेज या फिर खासतौर पर गर्मी के मौसम में छोटे-छोटे घाव की समस्या भी देखने को मिलती है. ऐसे में झारखंड की राजधानी रांची के आसपास के गांव में रहने वाले आदिवासी एक खास तरह के पेड़ के फल का इस्तेमाल करके इन चीजों को ठीक करते हैं.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं. रांची के आसपास के गांव में उगने वाले करंज के पेड़ के बारे में, आपने करंज के तेल के बारे में जरूर सुना होगा, जो खास तौर पर दिवाली के मौके पर दिए जलाने के लिए सड़क पर बिकते हुए मिलती है, लेकिन आदिवासी खासतौर पर करंज के पेड़ से जो फल निकलता है. उसके अंदर से एक बीजा होता है. उसको घाव पर लगाते हैं या फिर अपने स्किन पर.
स्किन के सारी समस्याओं का निदान
सीमा देवी बताती है, हम लोग कभी भी कोई क्रीम नहीं खरीदते अगर मान लीजिए कहीं पर खुजली हो रही है या कई बार एलर्जी भी हो जाती है व चेहरे पर कहीं पर पिंपल्स निकल रहे हैं या फिर घाव हो गया है और वह बड़ा हो गया है, तो हम डॉक्टर के पास नहीं जाते. बल्कि, शुरुआत में ही करंज पेड़ के फल के बीज को मसल कर उस जगह में लगा लेते हैं.
इससे क्या होता है कि सिर्फ एक हफ्ता तक दिन में तीन से चार बार आपको लगाना होता है और जो भी खुजली या अन्य समस्या है उसे जड़ से हटा देता है.फिर वह कभी नहीं आएगा हम लोग शुरू से यही करते हैं. करंज का बहुत पेड़ आंगन में या इधर-उधर दिख जाता है और उसका फल तो नीचे यूं ही गिरा मिलेगा.तोड़ने की भी जरूरत नहीं पड़ती.बस उसको हाथ में लेना है अंदर से बीजा निकलेगा. उसको निकालना है मसलना है और लगा लेना है, कुछ अधिक नहीं करना.
निकाला जाता है तेल
उन्होंने आगे बताया, यह सारे फल के अंदर के बीज को निकाला जाता है और मशीन के द्वारा इसका तेल भी निकाला जाता है और यह तेल से दिया बहुत अच्छा जलता है.हम लोग इसी का इस्तेमाल करते हैं और दिवाली के मौके पर बेचा भी करते हैं. इसका दिया लंबे समय तक या कहिए तो पूरी रात भर जलता है इस तरीके से हम इसे इस्तेमाल करते हैं.
रांची के जाने माने आयुर्वेदिक डॉक्टर वीके पांडे बताते हैं, दरअसल, बात यह है की करंज का जो फल का के भीतर बीज होता है. वह एंटी बैक्टीरियल होता है. इसमें यह गुण बहुत ही उच्च मात्रा में होता है. यही कारण होता है कि आप जो घाव में लगाते हैं, तो वहां का जो बैक्टीरिया होता है वह उसका नाश करता है.कई सारे आयुर्वेदिक चीजों में भी इस बीज का प्रयोग किया जाता है. अच्छी बात यह है इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता. इसे कोई भी इस्तेमाल कर सकता.