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Banda Namami Gange Yojana: यूपी के बांदा जिले में पानी की भारी कमी है, तिंदवारी विधानसभा के गांव में पानी की बहुत समस्या है. यहां जल जीवन मिशन के तहत 80% गांवों को जल संतृप्त बताया गया है, लेकिन हकीकत में ग्राम…और पढ़ें
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हाइलाइट्स
- बांदा जिले में पानी की भारी कमी है.
- ग्रामीण टैंकर और हैंडपंप के सहारे जी रहे हैं.
- प्रशासन ने जल्द सुधार का दावा किया है.
बांदा: गर्मी की दस्तक के साथ ही बुंदेलखंड का बांदा जिला पानी के लिए त्राहि-त्राहि करता नजर आ रहा है. हालात इतने बदतर हैं कि जलशक्ति राज्यमंत्री रामकेश निषाद के गृह क्षेत्र तिंदवारी विधानसभा के गांव भी प्यासे हैं. सरकारी फाइलों में भले ही जल जीवन मिशन के तहत बांदा के 80% गांवों को जल संतृप्त बताया जा रहा हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है. मुख्यालय से सटे गांवों में भी ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
2-3 किलोमीटर दूर से पानी लाते हैं ग्रामीण
बांदा मुख्यालय से महज 6 किलोमीटर दूर त्रिवेणी गांव में जल जीवन मिशन के तहत पाइपलाइन तो बिछी है, लेकिन यहां के 80% ग्रामीणों को अब भी पानी नसीब नहीं है. गांव के चंद पुराने हैंडपंप ही सहारा हैं. गर्मी बढ़ते ही ये भी जवाब देने लगते हैं, तब ग्रामीणों को 2 किलोमीटर दूर नदी से पानी ढोना पड़ता है. वहीं, त्रिवेणी से कुछ आगे मोहनपुरवा गांव की भी यही कहानी है. सरकारी कागजों में यहां पानी की आपूर्ति दिखा दी गई है, लेकिन हकीकत में ग्रामीण टैंकर और हैंडपंप के भरोसे जी रहे हैं.
अछरौड़ गांव में हालात और भी बदतर
मोहनपुरवा से कुछ दूरी पर बसे अछरौड़ गांव में लगभग 6000 की आबादी पानी के लिए बेहाल है. गांव में सिर्फ एक पुराना ट्यूबवेल है, जिससे हफ्ते में महज 2 दिन कुछ मिनटों के लिए पानी मिलता है. गांव के ज्यादातर हैंडपंप खराब पड़े हैं और केवल एक कुएं से ग्रामीण अपने पीने के पानी की जरूरतें किसी तरह पूरी कर रहे हैं.
गांव के तालाब की स्थिति भी दयनीय है. गंदगी से भरे इस तालाब में जानवर और इंसान एक साथ नहाने को मजबूर हैं. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि नलों से आने वाला पानी इतना खराब है कि दाल तक ठीक से नहीं पकती है. मजबूरी में उन्हें गंदे तालाब के पानी से नहाना पड़ता है, जिससे बीमारियों का खतरा बना रहता है.
प्रशासन का दावा- जल्द सुधरेंगे हालात
इस मुद्दे पर नमामि गंगे प्रोजेक्ट के प्रभारी एडीएम मदन मोहन वर्मा ने दावा किया कि बांदा के 634 गांवों में से 499 गांव जल संतृप्त हो चुके हैं. अछरौड़ गांव को लेकर उन्होंने कहा कि वहां भी काम लगभग पूरा हो चुका है और जल्द ही पानी की नियमित आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी.