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Agriculture Tips: सोनभद्र जनपद में दलहन की खेती बड़ें स्तर पर की जाती है. यहां किसानों को लिए सिंचाई की सुविधा न मिल पाने के कारण अरहर और मोटे अनाज की खेती बेहद फायदेमंद होती है, कृषि वैज्ञानिक के अनुसार अरहर औ…और पढ़ें
अरहर की खेती के लिए है सोनभद्र प्रसिद्ध
हाइलाइट्स
- अरहर और तिल की खेती से किसानों को लाभ
- सिंचाई की कमी में भी अरहर और तिल की बंपर पैदावार
- सोनभद्र में दलहन की खेती किसानों के लिए वरदान
सोनभद्र: यूपी के सोनभद्र जनपद में दलहन की खेती काफी व्यापक रूप से की जाती है, खासकर मोटे अनाज और अरहर की खेती. यहां, किसानों को सिंचाई की सुविधा कम होने के कारण, प्रकृति पर अधिक निर्भर रहना पड़ता है, जिससे मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा मिलता है. सबसे खास बात जो होती है, कि इस अनाज में किसी प्रकार से भी उर्वरक खाद का प्रयोग नाम मात्र का भी नहीं किया जाता. गौरतलब हो कि यूपी का आखिरी जिला सोनभद्र ज्यादातर पठारी इलाके के रुप में जाना जाता है. खास कर मारकुंडी घाटी के नीचे का हिस्सा चोपन, दुद्धी, बभनी दलहनी प्रमुख फसल अरहर के उत्पादन को लेकर जान जाता है. इस इलाके में सिंचाई संसाधनों का अभाव और पठारी क्षेत्र का होना इसके एक प्रमुख कारण भी हैं. ऐसे में किसानों को दलहनी खेती करना सबसे सुगम होता है. कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक यह फसल किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है. तो चलिए वैज्ञानिक से ही जानते हैं इसके बारे में
कृषि वैज्ञानिक ने दी जानकारी
जनपद के कृषि वैज्ञानिक कहे जाने वाले वरिष्ठ किसान बाबू लाल मौर्य ने खास बात चीत में लोकल 18 से बताया, कि अरहर और तिल की बुवाई कर किसान बेहतर लाभ कमा सकते हैं. इन फसलों में किसी तरह की लागत भी नहीं लगती है. केवल दो बार जुताई कर किसान अरहर और तिल की बुवाई कर सकते हैं. इन फसलों की सिंचाई के लिए पानी की भी जरूरत नहीं है. दलहन की फसलों में अरहर के साथ ही उड़द और मूंग की फसलों की भी बुवाई भी की जा सकती है. वे बताते हैं, दलहनी फसलों का बेहतर उत्पादन कर किसान मालामाल हो सकते है. इन फसलों में भी लागत काफी कम लगती है. आगे वे बताते हैं, किसान खेतों की जुताई कर इस फसल की बुवाई कर देते हैं. इसके अलावा किसी तरह के उर्वरक का उपयोग नहीं करना होता है. सिंचाई के लिए पानी की भी बहुत अधिक जरूरत नहीं होती है.
आपको बता दें, सोनभद्र जनपद में किसान अरहर की खेती ही ज्यादातर करते आ रहे हैं. इसके पीछे लागत का ना के बराबर लगना और अधिक मूल्य मिलना भी है. साथ ही यहां की मिट्टी इसके लिए बेहतर मानी जाती है. वहीं, भोजन में दाल का होना हर किसी के लिए जरूरी है. प्रोटीन के लिहाज से भी और सरकार द्वारा सब्सिडी मिलने से इसकी खेती को अधिक बढ़ावा मिल रहा है.