Ramayan Katha: रामायण में भगवान राम के 14 साल के वनवास और माता सीता के रावण द्वारा अपहरण और फिर उनकी वापसी की कथा है. जब भगवान राम वनवास पर गए तो लक्ष्मण ही अकेले ऐसे भाई थे, जिन्होंने उनके साथ जाने का निश्चय किया. उन्होंने 14 सालों तक श्रीराम और माता सीता की सेवा की. रामायण में कई ऐसी कहानियां हैं जो बहुत कम लोगों को पता हैं. ऐसी ही एक कहानी है लक्ष्मण के 14 साल की नींद का त्याग देने की. आइए जानते हैं उसके बारे में.
लक्ष्मण कौन थे?
लक्ष्मण, राजा दशरथ और सुमित्रा के पुत्र थे और भगवान राम के छोटे भाई थे. भगवान राम को भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है और लक्ष्मण को शेषनाग का अवतार माना जाता है.
ये भी पढ़ें- Kailash Mansarovar Yatra 2025: जल्द शुरू होगी मानसरोवर यात्रा, कैसे जाएं? क्या है प्रक्रिया? जानें इसका महत्व
लक्ष्मण और उर्मिला का विवाह
जब राजा जनक ने अपनी बेटी सीता के लिए स्वयंवर आयोजित किया था. इसमें दूर-दूर के राजा आए थे ताकि वे शिव धनुष को उठाकर विवाह के योग्य साबित हो सकें. लेकिन केवल भगवान राम ही उसे उठा पाए और इस तरह सीता का विवाह राम से हुआ. उसी दिन राम के भाइयों का भी विवाह हुआ. लक्ष्मण का विवाह उर्मिला से, भरत का मांडवी से और शत्रुघ्न का श्रुतकीर्ति से हुआ.
लक्ष्मण की विशेषताएं
लक्ष्मण एक बहुत ही कुशल धनुर्धर थे. कहा जाता है कि वे एक साथ पांच सौ तीर चला सकते थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन अपने बड़े भाई राम की सेवा में समर्पित कर दिया.
लक्ष्मण का जन्म और राम से लगाव
एक कथा के अनुसार, जब लक्ष्मण का जन्म हुआ था तो वे लगातार रोते रहे जब तक कि उन्हें उनके बड़े भाई राम के पास नहीं सुला दिया गया. जैसे ही लक्ष्मण को राम के पास सुलाया गया वे शांत हो गए. कहा जाता है कि लक्ष्मण को अपने भाई राम के पास रहना बहुत अच्छा लगता था.
वनवास और नींद का त्याग
जब कैकयी ने अपनी दासी मंथरा के बहकावे में आकर राजा दशरथ से अपनी एक पुरानी प्रतिज्ञा पूरी करने को कहा तो राजा दशरथ को मजबूरी में राम को 14 वर्षों के लिए वनवास भेजना पड़ा. सीता और लक्ष्मण भी उनके साथ वनवास गए. अपने भाई और भाभी की सुरक्षा के लिए लक्ष्मण ने निर्णय लिया कि वे पूरे 14 वर्षों तक नहीं सोएंगे.
इसके लिए उन्होंने निद्रा देवी से प्रार्थना की कि वे 14 साल तक उन पर नींद न डालें. निद्रा देवी ने कहा कि ऐसा करने के लिए किसी और को लक्ष्मण की ओर से सोना होगा, ताकि संतुलन बना रहे. तब लक्ष्मण ने इसके लिए अपनी पत्नी उर्मिला को चुना. उर्मिला ने खुशी-खुशी यह जिम्मेदारी स्वीकार कर ली ताकि लक्ष्मण अपने भाई की सेवा पूरी निष्ठा से कर सकें.
मेघनाद का वध
रावण के पुत्र मेघनाद को वरदान मिला था कि उसे वही व्यक्ति मार सकता है जिसने 14 साल तक नींद न ली हो. क्योंकि लक्ष्मण ने 14 साल तक नींद नहीं ली थी, इसलिए युद्ध में लक्ष्मण मेघनाद का वध कर सके. यह संभव हुआ सिर्फ उर्मिला के बलिदान और समर्थन के कारण. इस कहानी के बारे में बेहद कम लोग जानते हैं कि उर्मिला लगातार 14 साल तक सोती रहीं.