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Rampur Famous Chawla Pickle: रामपुर के चावला परिवार का देसी अचार 50 वर्षों से पारंपरिक विधि से तैयार हो रहा है. यह अचार ऑर्गेनिक होता है और इसकी डिमांड नेपाल, अमेरिका, यूरोप आदि में भी है.
दादी-नानी की रेसिपी से बना अचार, रामपुर से अमेरिका, यूरोप, स्वीट्जरलैंड तक मचा र
हाइलाइट्स
- रामपुर का चावला अचार 50 वर्षों से पारंपरिक विधि से बन रहा है.
- चावला अचार की डिमांड अमेरिका, यूरोप, नेपाल में भी है.
- अचार पूरी तरह ऑर्गेनिक और बिना मिलावट का होता है.
अंजू प्रजापति/रामपुर: रामपुर की गलियों में जब अचार की महक हवा में घुलती है, तो समझ लीजिए कि चावला परिवार का हाथ से बना देसी अचार तैयार हो चुका है. थाना सिविल लाइंस के पास आदर्श कॉलोनी में चावला अचार मसाले पिछले 50 वर्षों से घरों की रसोई को देसी स्वाद से भर रहे हैं. मोहिनी चावला, जो पिछले पांच दशकों से अचार बनाने की पारंपरिक विधि को जीवित रखे हुए हैं, वो बताती हैं कि उनका अचार पूरी तरह से ऑर्गेनिक होता है, जिसमें न तो एसिड का इस्तेमाल होता है और न ही कोई मिलावट. हम अपने अचार में शुद्ध सरसों का तेल और घर में तैयार मसाले इस्तेमाल करते हैं. यही हमारे अचार को खास बनाता है.
चावला अचार की खास बात यह भी है कि इसकी डिमांड सिर्फ रामपुर में ही नहीं बल्कि नेपाल, स्वीट्जरलैंड, यूरोप, बेंगलोर, अमेरिका, केरल, कुवैत, कतर और दिल्ली जैसे इलाकों में भी है. आम का अचार यहां 240 रुपये प्रति किलो की शुरुआती कीमत पर उपलब्ध है, जो बाजार से कम है.
अचार को खराब होने से बचाने के लिए विशेष सावधानी बरती जाती है. इसमें पर्याप्त मात्रा में तेल डाला जाता है और अचार को मिट्टी या कांच के साफ कंटेनर में स्टोर किया जाता है. पानी से दूर रखने की सलाह दी जाती है. क्योंकि एक बूंद पानी भी अचार को नुकसान पहुंचा सकती है. आम को धोकर साफ किया जाता है और डंडी हटाकर छोटे टुकड़ों में काटा जाता है.
रामपुर के इस खास अचार को तैयार करने की विधि बेहद पारंपरिक है. सबसे पहले आम को धोकर साफ किया जाता है और उसकी डंडी हटाकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है. इसके बाद 12 किलो आम में 1 किलो नमक डालकर उसे अच्छी तरह से सुखाया जाता है. जब आम अच्छे से सूख जाते हैं, तो उसमें एक किलो बिना नमक वाला मसाला मिलाया जाता है. चार घंटे बाद उसमें दो किलो शुद्ध सरसों का तेल डालकर अच्छे से मिलाया जाता है. जिससे स्वाद और खुशबू दोनों निखरकर सामने आते हैं.
पारंपरिक विधि, देसी मसाले और सालों की मेहनत यही है रामपुर के इस अचार की असली पहचान. दादी-नानी की यह पुरानी रेसिपी अब दुनिया भर में लोगों के स्वाद की पहचान बन चुकी है.