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Rosewood Leaves Benefits: यह लकड़ी आयरन स्टील की तरह मजबूत होती है. इसकी मजबूती के बारे में हर कोई जानता है लेकिन इसमें छिपे अनमोल फायदों के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है. आइए हम इसके बारे में बताते हैं.
सख्त लकड़ी के पत्तों में सेहत का अनमोल वरदान.
Rosewood Leaves Benefits: इस लोहे जैसी मजबूत लकड़ी के बारे में आप सब जानते होंगे. इसका नाम है शीशम. यह इतना सख्त होती है कि इससे पहले के जमाने में पुल बनाया जाता था. आज भी शीशम की लकड़ी को फर्निचर में सबसे मजबूत लकड़ियों में से एक मानी जाती है. लेकिन क्या आपको पता है कि शीशम की लकड़ी सेहत के लिए भी वरदान है. इसकी छाल और पत्तियों में अमृत वाला गुए होता है. इसकी गोल-गोल और हरी चमकती पत्तियों की खूबसूरती से सबको भा जाती है. ये पत्तियां सेहत की कई समस्याओं को खत्म कर सकती है. आयुर्वेदाचार्य शीशम को औषधीय गुणों से भरपूर बताते हैं. आइए इसके फायदे के बारे में आयुर्वेदाचार्य से जानते हैं.
पेट में जलन की समस्या का अंत
पंजाब स्थित बाबे के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के डॉ. प्रमोद आनंद तिवारी ने शीशम को स्वास्थ्य के लिए वरदान बताते हुए विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया, आयुर्वेद में शीशम का इस्तेमाल कई शारीरिक समस्याओं को दूर करने में किया जाता है. आयुर्वेद में इसके पत्तों, छाल और बीज का इस्तेमाल से कई बीमारियों का इलाज किया जाता है. शीशम के पत्तों में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं. डॉ. प्रमोद तिवारी ने बताया क अगर आप शीशम के पत्ते को जूस की तरह बनाकर पिएं तो इससे पेट में जलन, कब्ज, गैस, बदहजमी आदि की समस्याएं दूर हो सकती है. इसके नियमित सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता है. इतना ही नहीं शीशम के पत्ते में वात्त दोष को दूर करने की क्षमता है.
आंखों की रोशनी तेज, पेशाब की समस्या का अंत
शीशम के पत्तों से बने काढ़े को पीने से कई राहत मिलती है और यदि आपको मुंह से संबंधित समस्याएं हैं तो इसके रस से राहत भी मिलती है. इसके लिए पत्तों को चबाना फायदेमंद रहता है. प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के अनुसार, आंखों की बीमारी में राहत के लिए भी शीशम का इस्तेमाल किया जा सकता है. शीशम का तेल त्वचा संबंधित रोगों में भी राहत देता है. इससे खुजली ठीक होती है और दाग भी मिट जाते हैं. वहीं, काढ़े के सेवन से महिलाओं में होने वाले लिकोरिया की समस्या से भी मुक्ति मिल जाती है. वैद्य जी की मानें तो दस्त को रोकने के लिए भी शीशम का उपयोग किया जा सकता है. इसका काढ़ा पीने से लाभ मिलता है. इससे मूत्र संबंधी व्याधि दूर करने में शीशम उपयोगी साबित होता है. इससे ब्लड सर्कुलेशन भी ठीक रहता है और रक्त विकार को दूर करता है. आयुर्वेदाचार्य ने बताया, “शीशम का रस शरीर को अंदर से साफ करने में मदद करता है. पत्तों से बने काढ़े को पीने से अर्थराइटिस के दर्द और सूजन से राहत मिलती है. इन चमकीले हरे पत्तों को सेंककर सीधे जोड़ों पर लगाने से भी आराम मिलता है. इनपुट-आईएएनएस
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