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Mushroom Farming- जिले के किसानों को अब मशरूम की खेती के लिए 50% तक अनुदान और प्रशिक्षण मिलेगा. इससे कम लागत में अधिक मुनाफा संभव होगा, किसानों की आय बढ़ेगी और उनकी कार्यशैली में सकारात्मक बदलाव आएगा.
mushroom cultivation
संजय कुमार/चंदौली- जिले के किसानों के लिए खुशखबरी है! अब परंपरागत खेती के साथ-साथ किसान मशरूम की खेती भी कर सकेंगे. इस खेती को बढ़ावा देने के लिए उद्यान विभाग किसानों को लगातार जागरूक कर रहा है और प्रशिक्षण दे रहा है. सबसे अच्छी बात यह है कि मशरूम की खेती पर आने वाले खर्च का 50 फीसदी तक अनुदान भी दिया जाएगा. इससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
किसानों की आय होगी दोगुनी
केंद्र और राज्य सरकार किसानों की आय को दोगुना करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही हैं. इसी दिशा में प्रदेश सरकार ने मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं. किसान 20 लाख रुपये तक की मशरूम उत्पादन इकाई स्थापित कर सकते हैं, जिस पर उन्हें 40 प्रतिशत तक सब्सिडी भी मिलेगी. यह किसानों की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाने का एक बेहतरीन अवसर है.
कम लागत में अधिक मुनाफा
उद्यान विभाग के अनुसार, मशरूम की खेती कम लागत और कम जगह में की जा सकती है और इससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. परंपरागत खेती के साथ-साथ किसान इस वैकल्पिक खेती की ओर भी आकर्षित हो रहे हैं. किसानों को लगातार इस दिशा में जागरूक किया जा रहा है ताकि वे अपनी आय में वृद्धि कर सकें.
मशरूम की खेती का व्यावसायिक प्रशिक्षण
कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसानों को व्यावसायिक स्तर पर मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसमें मशरूम बीज तैयार करने की प्रक्रिया, भूसे को गीला करने की विधि, नमी का स्तर, उपयुक्त स्थान का चयन, किस्में और अन्य तकनीकी जानकारियां शामिल हैं. किसान उद्यान विभाग में पंजीकरण कर इस योजना का लाभ लें सकते हैं.
अन्य फसलों की खेती के लिए भी जागरूकता
जिले के किसानों को धान और गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों के अलावा स्ट्रॉबेरी और अन्य सब्जियों की खेती के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है. अब किसानों के पास मशरूम की खेती का भी शानदार विकल्प है. इसके लिए उन्हें कम जगह में ज्यादा उत्पादन की तकनीकी जानकारी दी जा रही है.
किसानों की कार्यशैली में बदलाव
उद्यान अधिकारी शैलेन्द्र दुबे का कहना है कि किसानों की कार्यशैली में सुधार लाने और उनकी आय बढ़ाने के लिए उन्हें परंपरागत खेती के साथ-साथ वैकल्पिक फसलों की ओर भी प्रेरित किया जा रहा है. इससे किसान न केवल आर्थिक रूप से मजबूत बनेंगे, बल्कि आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने के लिए भी तैयार होंगे.