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Unique Tradition of Holi : उत्तर प्रदेश के इस जिले में अनोखी होली मनाई जाती है. यहां लोग फूलों और रंगों से नहीं, बल्कि जूतों से भी होली खेलते हैं. यहां आपको होली के दिन जूते खाने के लिए करीब 1 लाख रुपए मिलेंगे…और पढ़ें
होली
हाइलाइट्स
- शाहजहांपुर में होली पर जूतों से होली खेली जाती है.
- लाट साहब को जूते खाने के लिए 1 लाख रुपए मिलते हैं.
- कोतवाल लाट साहब को ब्रांडेड शराब गिफ्ट करते हैं.
शाहजहांपुर : होली का त्योहार रंग, गुलाल और गुझिया की मिठास का प्रतीक है. हालांकि होली सिर्फ रंगों और मिठाइयों तक सीमित नहीं. भारत के अलग-अलग राज्यों में इसे अलग नामों और अनोखी परंपराओं के साथ मनाया जाता है. कहीं फूलों की होली तो कहीं लट्ठमार होली खेली जाती है लेकिन शाहजहांपुर में होली बेहद ही अनोखे ढंग से मनाई जाती है. यहां रंग गुलाल के साथ-साथ जूते मार होली खेली जाती है. इस दौरान शहर में ‘लाट साहब’ का जुलूस भी निकाला जाता है. इस जुलूस में लाट साहब बनने वाला शख्स पर लोग जूतों की बारिश करते हैं. लेकिन लाट साहब को जूते खाने के एवज में पैसे भी मिलते हैं.
इतिहासकार डॉ. विकास खुराना ने बताया कि सन 1857 के दौर से ही शाहजहांपुर में होली के दिन जुलूस निकालने की परंपरा चल रही है. पहले इस जुलूस को ‘नवाब साहब का जुलूस’ कहा जाता था लेकिन सन 1988 में तत्कालीन जिलाधिकारी कपिल देव ने जुलूस का नाम बदलकर ‘लाट साहब का जुलूस’ कर दिया. लाट साहब का यह जुलूस चौक क्षेत्र के बाबा चौकसी नाथ मंदिर से शुरू होकर शहर के अलग-अलग इलाकों से होता हुआ थाना सदर बाजार क्षेत्र के बाबा विश्वनाथ मंदिर पहुंचता है. इस जुलूस में हजारों की संख्या में हुड़दंगी शामिल होते हैं.
जटिल है लाट साहब का चुनाव
भैंसा गाड़ी पर बैठकर जुलूस की अगुवाई करने वाले लाट साहब का चुनाव करना एक जटिल और अनोखी प्रक्रिया है. इस जुलूस में दूसरे जिले के व्यक्ति को लाट साहब बनाया जाता है. लाट साहब बनने वाला शख्स को करीब एक सप्ताह पहल शाहजहांपुर लाया जाता है. जुलूस का आयोजन करने वाली कमेटी लाट साहब की जमकर खातिरदारी करती है. इतना ही नहीं लाट साहब को बेशुमार उपहार भी दिए जाते हैं.
करीब 1 लाख रुपए होंगे खर्च
शाहजहांपुर पहुंचने पर लाट साहब की जमकर खातिरदारी तो होती ही है. इसके अलावा लाट साहब को ब्रांडेड कंपनी के कपड़े और जूते उपहार स्वरूप दिए जाते हैं. लाट साहब की खातिरदारी में कोई कमी न रह जाए उसके लिए शराब भी पिलाई जाती है. जुलूस कमेटी इस बार लाट साहब की खातिरदारी और उपहार के लिए करीब 80 हजार रुपए की रकम खर्च कर रही है. लाट साहब जब कोतवाली पहुंचते हैं तो यहां कोतवाल लाट साहब को सलामी देने के बाद उपहार और नजराना भेंट करते हैं. भैंसागाड़ी के लिए जुलूस कमेटी अलग से पैसे खर्च करती है. यानि कुल मिलाकर इस बार लाट साहब को जूते खाने के लिए 1 लाख रुपए मिलेंगे.
Shahjahanpur,Uttar Pradesh
March 13, 2025, 14:19 IST